हिन्दी कविता
तुम्हारी यह मुस्कुराहटें
खुशियों की जैसे आहटें
जीना कैसा तुम बिन अभी
बिछड़ना ना तूम अब कभी
सह ना पाएंगे जुदाई हम तुम
से है कायम मेरी हँसी
बिगाड़ी तुमने ही आदतें
चाहेंगे तुम्हें टूट कर हम
बनाएंगे एक नया घर हम
हर पल सिर्फ़ खुशियां होंगी
साथ काटेंगे यहाँ सफर हम
रहेंगी ज़िंदा हमसे चाहतें
तुम्हारी यह मुस्कुराहटें
खुशियों की जैसे आहटें