सामाजिक

पर मुँह से एक शब्द भी नहीं निकाला।

सहती रहो  माँ ने कहा था। सहती जाओगी तो धरती कहलाओगी दादी ने कहा। फिर वो भी  कभी बही सरिता बन कभी पहाड़ हो गई  कभी किसी अंकुर की …

बुरे लोग मुश्किलों में साथ देने की महँगी कीमत वसूलते हैं.

बुरा समय बीत जाता है लेकिन, बुरे लोग मुश्किलों में साथ देने की महँगी कीमत वसूलते हैं.  इसलिए हमें खुद को इतना सक्षम बनाना चाहिए …

मुझे ईश्वर मिले न मिले,,,,,

मुझे ईश्वर मिले न मिले  दिया जरुर जलाऊंगा चाहे ,,,,, हो सकता है दीपक की रोशनी से किसी मुसाफिर को ठोकर न लगे….!!

न करो जुर्रत....

न करो जुर्रत....किसी के वक़्त पे हंसने की कभी,,,,, ये वक़्त है जनाब....चेहरे याद रखता है....!!

मुझसे भी बुरे हैं लोग....

मेरे बारे में अपनी सोच को थोड़ा बदलकर देख,,,, मुझसे भी बुरे हैं लोग तू घर से निकलकर देख.... !!

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That is All