Maa

पर मुँह से एक शब्द भी नहीं निकाला।

सहती रहो  माँ ने कहा था। सहती जाओगी तो धरती कहलाओगी दादी ने कहा। फिर वो भी  कभी बही सरिता बन कभी पहाड़ हो गई  कभी किसी अंकुर की …

मैं क्या लिखूँ....

मैं क्या लिखूँ....जिसकी कद्र जमाना करे...!!  ये सोच आज "माँ" लिख दिया.....!!

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That is All