जानवर हमारी ही तरह पृथ्वी के प्राणी है। जिस तरह पृथ्वी में हमारा अधिकार है। उनका भी इसमें बराबर का अधिकार है। भगवान ने जब इस धरती का निर्माण किया तो उसने हर छोटे-बड़े जीव का स्थान व कार्य सोच-समझकर निश्चित किया था। पृथ्वी की हर छोटी-बड़ी वस्तु प्रत्यक्ष रुप में हो अप्रत्यक्ष रुप में एक-दूसरे से जुड़ी हुई है। एक के समाप्त होने पर दूसरी या तो लुप्त हो जाती है या फिर वह इतने व्यापक तौर पर फैल जाती है की वह अन्य के जीवन पर खतरे की तरह मंडराने लगती है। मनुष्य ने जाने-अनजाने कई ऐसे कार्य किए हैं जिससे हमारी पृथ्वी विनाश के कगार पर है।
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