GERABARI WEATHER

“तुम नफरत का धरना कयामत तक जारी रखो,,,,,मैं प्यार का इस्तीफा जिंदगी भर नहीं दूंगा”..!! (प्यार शायरी दो लाइन) (प्यार शायरी हिंदी में)

ज़ुबान की हिफाज़त,
दौलत से ज्यादा मुश्किल है..!!!


हवाँए हड़ताल पर है शायद,,,
आज तुम्हारी खुशबू नहीं आई….


सच कहा किसीने नहीं आता मुझे व्यापर,
खुशियां बेचदी मेने लोगो के गम खरीदने के लिए।


खुद को देखते हुए आयने में मेने एक दरार देखी,
पता नहीं टुटा में था की आयना ।


हमारा अंदाज कोइ ना लगाए तो ठीक होगा.
क्योकी अंदाज तो बारीश का लगाया जाता है तुफान का नही..!!


चाहे कितनी भी तकलीफ दे इश्क़ ।..
पर सुकून भी इश्क़ से ही होता है. .


खैर कुछ तो किया उसने…!!!
चलो तबाह ही सही…!!!


मत पूछिए कि कैसे सफ़र काट रहे हैं
हर साँस एक सज़ा है मगर काट रहे हैं


तुझको ख्वाबो में देखने वाला….!
कितनी मुश्किल से जागता होगा….!!



कल तक था में जिसका साया,
आज बन गया हु उसीसे पराया


बड़ी दूर से आये है,
टुटा दिल वापीस लाये है..!!


मुकद्दर की लिखावट का इक ऐसा भी कायदा हो…!!!
देर से किस्मत खुलने वालों का दुगुना फायदा हो… !!!



जिन दोस्तों के बिना शाम गुजरतिँ ना थी कभी,
आज उनके बिना दिवाली गुजर गई…



“तुझमें और मुझमें फर्क सिर्फ इतना सा है कि…,
तेरा कुछ कुछ हूँ मैं…और मेरा सब कुछ है तू…।”


तेरा ज़िक्र..तेरी फिक्र ..तेरा एहसास…तेरा ख्याल..!!!
तू खुदा नहीं ….फिर हर जगह मौज़ूद क्यूँ है…!!


हमारे तो होठ भी इतनी बातें नहीं करते……
ए....सनम..जितनी तुम्हारी आंखें करती है….



तेरे दिल तक पहुंचे मेरे लिखे हुए हर लब्ज 
बस इसी मकसद से मेरे हाथ कलम पकडते है….



दिल की ना सुन ये फ़कीर कर देगा…
हम जो उदास बैठे है नवाब थे कभी…


नाराजगियों को कुछ दैर चुप रह कर मिटा लिया करो…
गलतियों पर बात करने से रिश्ते उलझ जाते हैं….



ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही ख़्वाहिशों का है
ना तो किसी को गम चाहिए…ना ही किसी को कम चाहिए….!!



इंसानियत.. दिल मे होती है.. हैसियत मे नही.
उपरवाला.. कर्म देखता है.. वसीयत को नही..!!


प्यार ख़रीदा नहीं जाता दोस्तों….!!
लेकिन उसकी कीमत जरुर चुकानी पड़ती है…..!!



मेरे कमरे में अँधेरा नहीं रहने देता
आपका ग़म मुझे तन्हा नहीं रहने देता



बड़ा कीमती खिलौना है मेरा दिल.
इसे खेलने आसमान से परी आयी थी!…


तड़प रहे है हम तुमसे एक अल्फाज के लिए
तोड़ दो खामोशी हमें जिन्दा रखने के लिए…


वो तो शायरों ने लफ्जो से सजा रख्खा है..
वर्ना मोहब्बत इतनी भी हसीँ नही होती..

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ऐ मोहब्बत तुझे पाने की कोई राह नहीं,
शायद तू सिर्फ उसे ही मिलती है जिसे तेरी परवाह नही।


सहारे ढुंढ़ने की आदत नही हमारी,
हम अकेले पूरी महफ़िल के बराबर है…



हम तुझ से बात किये बिना रह सकते है
तुझे याद किये बिना नही​



अगर तेरे बिना जीना आसान होता तो,
कसम मुहब्बत की तुझे याद करना भी गुनाह समझते….



तलाश सिर्फ सुकून कि होती हैं ..
नाम रिश्ते का चाहे जो भी हो ..!!


प्रेम से रहो दोस्तों जरा सी बात पे रूठा नहीं करते
पत्ते वहीं सुन्दर दिखते हैं जो शाख से टूटा नही करते…!


सजा ये है की बंजर जमीन हूँ अब,
जुर्म ये है कि बारिशों से इश्क किया मैंने……….!!



रिश्ते का तार टूटे तो बताना मेरे दोस्तों…
थोड़ा बहुत “REPAIRING WORK” हम भी जानते हे…!!!


झूठ इसलिए बिक जाता है 
क्योकि सच को खरीदने की सबकी औकात नही है…!!



एक मिनट में जिंदगी नहीं बदलती पर 
एक मिनट सोच कर लिया हुआ फैसला पूरी जिंदगी बदल देता है.



तेरे होठों पे मेरा नाम खुदा खैर करे,
जप रहा हो मौलवी श्रीराम को जैसे !!


“बहूत डर लगता है मुझे उन लोगों से”
“जो बातों में मिठास” और दिल में ‘जहर’ रखते हैं..



ख्वाहिशे…मेरी “अधुरी” ही सही पर,
कोशिशे मै “पूरी” करता हुं…!!!



यु गरीब कहकर खुद की तौहीन ना कर“ए बंदे…
गरीब तो वो लोग है जिनके पास “ईमान”नही…!!!!



तेरे बग़ैर इश्क़ हो तो कैसे हो
इबादत के लिए ख़ुदा भी तो ज़रूरी होता है



“दुनिया से चाहे जितना छिप लो मुखौटे लगा के..
जिंदगी आईने की तरह खींच लेती है, सेल्फ़ी हकीकत की…!!



इश्क़ का पता नही लेकिन
जो तुझसे है वो किसी और से नही..


मशवरा तो अच्छा था उनका  की,हमें भूल जाओ,
साफ ही कह देते की बहुत ज़ी लिए अब मर जाओ।



जहन में कुछ सवाल जिंदगी ने ऐसे भी छोङे हैं,
जिनका जवाब हमारे पास सिर्फ ‘‪खामोशी‬’ है l



अलफ़ाज़ नहीं बचे अब सबकुछ लिख चूका हूँ,
शायद मोहब्बत के खातिर पूरी तरह बिक चूका हूँ…..


“आप उन्हीं के लिए खास हैं….
जिन्हें आपसे कुछ आस है !”



भरोसा जितना कीमती होता है
धोखा उतना ही महंगा हो जाता है…..



आज किसी ने ये बात कहके दिल तोड़ दिया
के लोग तेरे नहीं तेरी शायरी के दिवाने हैं….



होती अगर मोहब्बत बादल के साये की तरह,
तो मै तेरे शहर मे कभी धूप ना आने देता..



कोई और तरीक़ा बताओ जीने का,
साँसे ले ….. ले …..कर थक गये है !!



जितने भी जख्म थे सबको सहलाने आये है, 
वो माशुक खंजर के सहारे मरहम लगाने आये हैं…….


अगर मेरी शायरियो से बुरा लगे तो बता देना दोस्तों,
में दर्द बाटने के लिए लिखता हु, दर्द देने के लिए नही..



बस रखी है झूठी मुस्कान,इतना में सुधर गया,
रहता था जो हर पल खुश,वो तो कब का बिखर गया



सच को लफ़्ज़ों की दरकार नही होती,
तुमने सर हिला दिया मुझे यकीं हो गया


तेरी याद जब आती है तो उसे रोकते नही हैं हम,
क्यूँकि जो बगैर दस्तक के आते हैं वो अपने ही होते हैं…


“कोई ताबीज ऐसा दो की मैं चालाक हो जाऊ ,
बहुत नुकसान देती है मुझे ये सादगी मेरी ।”॥


चाहता था मै भी तुम्हे दिल की बात सुनाना,
पर तुमने कहा आता नहीं मुझे रूठे को मनाना



इतनी बाते सोच रखी है तुम्हेँ सुनाने के लिए……
पर तुम हो कि आते ही नहीँ हो मनाने के लिए….


ढूंढ़ने में बड़ा मजा आता है…
दिल में बसा कोई अपना जब खो जाता है…



तुम होते तो होता बस इतना ।
कि हम जी रहे होते ।।



दर्द नसीब से मिलता है मेरी जान..
औक़ात कहाँ है तेरी मुझे तड़पाने की..


यकीन करो आज इस कदर याद आ रहे हो तुम; 
जिस कदर तुम ने भुला रखा है मुझे।



बारिश की बूँदों में झलकती है तस्वीर उनकी‬‎ और 
हम उनसे मिलनें की चाहत में भीग जाते हैं‬..!!!



अच्छा है तुम्हारा दिल, खवाबो से मान जाता है..
कम्बक्त हमारा दिल है की रूबरू होने को तड़पता है…


दिखावा मत कर शहर मे ‘शरीफ’ होने का . . .
लोग ‘ खामोश ‘ तो है. पर ‘ ना – समज ‘ नहीं ! !


हसीनाओ की आदत ही होती है जलाने की,
तूम चिराग बन बैठे यही तुम्हारी भूल है।


तुम आसपास ना आया करो जब मैं शराब पीता हूं..
क्या है कि दुगना नशा संभाला नहीं जाता…..


“जो लोग सिर्फ तुम्हे काम के वक़्त याद करते हे उन लोगो के काम ज़रूर आओ
क्यों के वो अंधेरो में रौशनी ढूँढ़ते हे और वो रौशनी तुम हो”



तुझसे मैँ इजहार ऐ मोहब्बत इसलिए भी नही करता,
सुना है बरसने के बाद बादलो की अहमियत नही रहती|



मैं जख्म खरीदता हूँ,
मोहब्बत के भाव में..



सुनो जिसकी फितरत थी बगावत🏼 करना ,.,
हमने उस दिल पे हुक़ूमत की है ,.,!!


ईतना भी मगरूर ना हो ऐ हसीना, तु आखरी हसी नही,
और में पहला आशीक नही।



दिखते हैं पर नज़र नहीं आते …. 
कुछ लोग कितने दूर हो जाते हैं



ईतना भी मगरूर ना हो ऐ हसीना,तु आखरी हसी नही,
और में पहला आशीक नही।



उस रात को लिखना भी मुश्किल सा है यार,
एक रात में सो जिन्दगी जी ली हमने।


चलो कि हम भी ज़माने के साथ चलते हैं,
नहीं बदलता ज़माना तो हम बदलते हैं..


मै रंग हुँ तेरे चेहरे का,
जितना तू खुश रहेगी उतना मैं निखरता जाऊँगा..



तुझे रात भर ऐसे याद करता हूँ मैं….
जैसे सुबह इम्तेहान हो मेरा..



तेरे लबों  का मुझ पर असर कुछ यूं हो गया, 
तूने छुआ मेरे लबों को और मैं गज़ल बन गया !


तुम से मिलकर सबसे नाते तोड लिए थे,
हमनें बादल देखके मटके फोड लिए थे !!


फूल बेचारे अकेले रह गये हे शाख पर..
गाँव की सब तितलीयो के हाथ पीले हो गये..



उसने फूल जब छुआ होगा !!
होश खुश्बू के भी उड़ गए होंगे !!


मजा चख लेने दो उसे गेरो की मोहबत का भी, 
इतनी चाहत के बाद जो मेरा न हुआ वो ओरो का क्या होगा।


सुकून मिलता है दो लफ्ज़ कागज़ पर उतार कर,
चीख भी लेता हूँ और आवाज भी नहीं होती..



“ले लो वापस…ये आँसू…ये तड़प…और ये यादें सारी…
नही हो तुम अगर मेरे…तो फिर ये सजाएँ कैसी….



शुक्र करो कि हम दर्द सहते हैं, लिखते नहीं ।
वरना कागजों पर लफ़्ज़ों के जनाज़े उठते ॥



हर किसी की कोई न कोई बुरी आदत होती हैं……..
लेकिन मेरी तुम हो ….


ना जाने, करीब आना किसे कहते हैं..
मुझे तो, तुमसे दूर जाना ही नहीँ आता…!!


खूबसूरत ये सारे नज़ारे हो गए 
जिस घडी से हम तुम्हारे हो गए




“आशिक़ी लिखें , दीवानगी लिखें या अपनी ख़ामोशी लिखें …,
दिल के जज़्बात अब अल्फ़ाज़ नहीं बनते आखिर आज क्या लिखें”॥



एक हमे आवारा केहना, कोइ बडा इलजाम नही,
दुनिया वाले दिल वालों को, ओर बहुत कुछ केहते है ।


जाने ये कैसा ज़हर दिलों में उतर गया…
परछाईं ज़िंदा रह गई इंसान मर गया…!!!!


ज़िन्दगी !!! आज फिर खफा हे,
जाने दो न यारों , कहाँ पहेली दफा है !!!



तेरी यादो को पसन्द आ गई है मेरी आँखों की नमी..
हँसना भी चाहूँ तो रूला देती है तेरी कमी…!!



“जिसे पूजा था हमने वो खुदा तो न बन सका,
हम ईबादत करते करते फकीर हो गए…!!!


दिसम्बर आ गया है जरा अपना ख्याल रखना..!! .
बुजुर्ग कहते है..सर्दियों में अक्सर चोटें, ज्यादा दर्द देती है..!!


जी तो चाहता है,,,तुम्हे अपने दिल में छुपा लू …
मगर ना वक्त ने इजाजत दी और ना कभी तुम ने…



“तेरी तस्वीर जब इतना सूकून  देती है…
खुदा जाने क्या होता होगा जब तुम गले मिलती होगी



रिश्ते का नाम जरूरी नहीं होता मेरे दोस्त..
कुछ बेनाम रिश्ते रुकी जिंदगी को साँस देते है..



भूला नही पा रहा..जब से तुझे लिखने लगा हूँ..
माँ ठीक कहती थी..लिखने से देर तक याद रहता हैँ..!!



“गम ना कर ऐ दोस्त तकदीर बदलती रहती है,
शीशा शीशा ही रहता है तस्वीर बदलती रहती है”


“तुम नफरत का धरना कयामत तक जारी रखो,
मैं प्यार का इस्तीफा जिंदगी भर नहीं दूंगा”..!!


ना जाने कौन कौन से विटामिन और प्रोटीन हैं तुझ में….?
जब तक तेरा दीदार न कर लूँ तब तक बैचेनी रहती..



”अच्छी किताबें और सच्चे  लोग
तुरंत समझ में नहीं आते ॥”



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